मेरी मुद्दतों के बाद ये तमन्ना है
तेरी ख्वाहिश में इस दिल को बेकरार करूँ
मेरी रातों को भले रौशनी नसीब न हो
तेरी रातों में उजालों की मैं भरमार करूँ
मेरी चाहत में भले हो कमी चाहत है पर
तुझसे इक बार इस चाहत का मैं इजहार करूँ
कभी दिया नहीं मैंने अपना तवार्रुफ़ लेकिन
ख्याल है दिल का कि तेरे लिए अशआर करूँ
तू कहे चाँद सितारे भी मुझसे लाने को
मेरी क्या हैसियत कि तुझसे मैं इनकार करूँ
शाम आये चाहे न रात आये गम ही नहीं
हर सुबह पर नज़र खोलूं तेरा दीदार करूँ।
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