Tuesday, October 5, 2010

तमन्ना

मेरी मुद्दतों के बाद ये तमन्ना है
तेरी ख्वाहिश में इस दिल को बेकरार करूँ

मेरी रातों को भले रौशनी नसीब न हो
तेरी रातों में उजालों की मैं भरमार करूँ

मेरी चाहत में भले हो कमी चाहत है पर
तुझसे इक बार इस चाहत का मैं इजहार करूँ

कभी दिया नहीं मैंने अपना तवार्रुफ़ लेकिन
ख्याल है दिल का कि तेरे लिए अशआर करूँ

तू कहे चाँद सितारे भी मुझसे लाने को
मेरी क्या हैसियत कि तुझसे मैं इनकार करूँ

शाम आये चाहे न रात आये गम ही नहीं
हर सुबह पर नज़र खोलूं तेरा दीदार करूँ।

No comments:

Post a Comment