Saturday, October 2, 2010

शमा

हम रात भर जो जला करें वो शमा नहीं बुझ जायेंगे
मुझे देख पिघलता सब ही की आँखों में आंसू आयेंगे
हम रात भर जो जला करें

हमें प्यार जो करते रहे परवाने छू हमें जल गए
हम ऐसे पत्थरदिल नहीं ये दर्द जो सह जायेंगे
हम रात भर जो जला करें

मेरे पास गम हैं और भी रोते रहेंगे रात भर
आंसू बहायेंगे कहीं हम खुद ही में घुल जायेंगे
हम रात भर जो जला करें

तेरी सहर जब आएगी हमें फूंक देना शौक से
हम भी बड़े ही शौक से हंसकर फ़ना हो जायेंगे
हम रात भर जो जला करें वो शमा नहीं बुझ जायेंगे

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