मेरी चाहत से दोस्ती करके
क्या मिला ऐसी दिल्लगी करके
मेरी आँखों में जो आंसू हैं तो खुदा की कसम
आप रोयेंगे ये हंसी करके
हमने सोचा था खुश रहेंगे तुम्हें पाके मगर
रो रहे हैं ये आशिकी करके
तुमको समझा था खुदा तो हमें सजा ये मिली
टूटे पत्थर की बंदगी करके
तुमसे मिलने के पहले मरने की तमन्ना थी
पहली ख्वाहिश को आखिरी करके
बैठे इस आस में कि कोई तो दफ्न कर दे हमें
खत्म हम अपनी जिंदगी करके।
बढ़िया रचना
ReplyDeleteबेहद ही खुबसूरत और मनमोहक…
ReplyDeleteआज पहली बार आना हुआ पर आना सफल हुआ बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत ही सुन्दर प्रभावशाली प्रस्तुति|
ReplyDeleteतुमको समझा था खुदा तो हमें सजा ये मिली
ReplyDeleteटूटे पत्थर की बंदगी करके
बहुत सुन्दर .....
स्वागत है
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट
शुभकामनाएं
july se likhna shuru kiya lekin itni der se ise chitthajagat se joda? khair der aaye durust aaye....
ReplyDeleteswagat hai shubhkamnao ke sath.... jald az jald jyada se jyada log aapne blog ko jane aur manein...
shubhkamnayein
तुमको समझा था खुदा तो हमें सजा ये मिली
ReplyDeleteटूटे पत्थर की बंदगी करके
khubsurat sher achhe lage
Welcome .
ReplyDeleteबहुत खूब - प्रशंसनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteThanks to all of u
ReplyDeleteइस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteकमाल का. जारी रहें.
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धनतेरस व दिवाली की सपरिवार बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं.
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वात्स्यायन गली