Saturday, October 23, 2010

दोस्ती

मेरी चाहत से दोस्ती करके
क्या मिला ऐसी दिल्लगी करके

मेरी आँखों में जो आंसू हैं तो खुदा की कसम
आप रोयेंगे ये हंसी करके

हमने सोचा था खुश रहेंगे तुम्हें पाके मगर
रो रहे हैं ये आशिकी करके

तुमको समझा था खुदा तो हमें सजा ये मिली
टूटे पत्थर की बंदगी करके

तुमसे मिलने के पहले मरने की तमन्ना थी
पहली ख्वाहिश को आखिरी करके

बैठे इस आस में कि कोई तो दफ्न कर दे हमें
खत्म हम अपनी जिंदगी करके।

12 comments:

  1. बेहद ही खुबसूरत और मनमोहक…
    आज पहली बार आना हुआ पर आना सफल हुआ बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति
    बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्‍दर प्रभावशाली प्रस्तुति|

    ReplyDelete
  3. तुमको समझा था खुदा तो हमें सजा ये मिली
    टूटे पत्थर की बंदगी करके

    बहुत सुन्दर .....

    ReplyDelete
  4. स्वागत है
    अच्छी पोस्ट
    शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  5. july se likhna shuru kiya lekin itni der se ise chitthajagat se joda? khair der aaye durust aaye....

    swagat hai shubhkamnao ke sath.... jald az jald jyada se jyada log aapne blog ko jane aur manein...


    shubhkamnayein

    ReplyDelete
  6. तुमको समझा था खुदा तो हमें सजा ये मिली
    टूटे पत्थर की बंदगी करके

    khubsurat sher achhe lage

    ReplyDelete
  7. बहुत खूब - प्रशंसनीय प्रस्तुति

    ReplyDelete
  8. इस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    ReplyDelete
  9. कमाल का. जारी रहें.
    --
    धनतेरस व दिवाली की सपरिवार बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं.
    -
    वात्स्यायन गली

    ReplyDelete