Tuesday, October 19, 2010

अदा

मुझे हो रहा है नशा जानेमन
है कैसी तुम्हारी अदा जानेमन

बचता मैं कैसे ख्यालों से तेरे
डूबा है जिनमें खुदा जानेमन

सिर्फ मैं ही नहीं एक दीवाना तेरा
जमाना है तुझपे फ़िदा जानेमन

दिल में उतर जायेंगे हम तेरे
पलकें तो अपनी उठा जानेमन

बस नज़र ही नहीं रग - रग में मेरी
शामिल है तेरा निशां जानेमन।

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