Monday, October 4, 2010

तेरी याद

शायद मुझे सूखे हुए गुलाब मिल जाएँ
तेरी याद के पन्नों को टटोला है मैंने
वर्षों से बंद किया दिल के खँडहर का
धीमे से इक कपाट खोला है मैंने
शायद कहीं कुछ लफ्ज़ लरजते हुए मिल जाएँ
आँखों में फिर पुराना खाब घोला है मैंने
शायद थरथराती मिलें तेरी उंगलियाँ
तेरी याद के पन्नों को टटोला है मैंने
शायद मुझे सूखे हुए गुलाब मिल जाएँ

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