रहते हैं कहीं हम आँखों में
छुपते हैं कभी हम साँसों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में
तुम सामने होते हो जिस दम
होते हैं हसीं हम लाखों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में
हम हो जाते हैं फ़िदा तुमपे
जब हैं होते तुम्हारी बातों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में
हम बेल हैं तुम मेरा हो वो सहारा
जिन्हें ढूँढते हैं हम शाखों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में
तुम हमको छोड़ना भी न कभी
के बदल जायेंगे हम राखों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में।
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