लोगों के चाँद पर जाने में
कितने ताने-बाने,
मुझे चाँद पर थपका कर
भेज दिया माँ ने |
लोगों को चाँद पर मिलती है,
मिट्टी, हवा, न धूल,
मैं परियों को चाँद पर पाकर
जग ये गया हूँ भूल |
लोगों ने परखा है चाँद पर
साँसें हैं न जीवन,
मैंने वहाँ लीं अनगिन साँसें
जी भर जिया है बचपन |
मुश्क़िल है लोगों का चाँद पर
एक बार ही जाना,
मैं हर रात होता हूँ चाँद पर
जब हो नींद का आना
कितने ताने-बाने,
मुझे चाँद पर थपका कर
भेज दिया माँ ने |
लोगों को चाँद पर मिलती है,
मिट्टी, हवा, न धूल,
मैं परियों को चाँद पर पाकर
जग ये गया हूँ भूल |
लोगों ने परखा है चाँद पर
साँसें हैं न जीवन,
मैंने वहाँ लीं अनगिन साँसें
जी भर जिया है बचपन |
मुश्क़िल है लोगों का चाँद पर
एक बार ही जाना,
मैं हर रात होता हूँ चाँद पर
जब हो नींद का आना
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