Sunday, September 14, 2014

हिन्दी हमारा अभिमान

हिन्दी जड़ सब भाषाओं की
ज्ञानी जन ये कह कर गये.
सच है ये सब ज़रा तो सोचो,
क्यों वो सब ये कह कर गये?

अंग्रेज कहते हैं इंग्लिश
उसमें अक्षर इ, ग, ल, श,
स्पेनी कहते स्पेनिश,
उसमें स, प, न, श,

जापानी कहते जापानीज,
उसमें अक्षर ज, प, न, ज,
चाइना वासी कहते चाइनीज,
उसमें च, इ, न, ज,

बँग्लादेशी कहते बँग्ला,
उसमें अक्षर ब, ग, ल,
श्रीलंकाई कहते तमिल,
उसमें त, म, ल,

पाक़िस्तानी कहते उर्दू,
उसमें अक्षर उ, र, द,
अरेबियन कहते हैं अरबी,
उसमें अ, र, ब,

रशा निवासी कहते रशियन,
उसमें अक्षर र, श, य, न,
इटली वासी कहते इटैलियन,
उसमें इ, ट, ल, य, न,

फ्राँसीसी कहते हैं फ्रेंच,
उसमें अक्षर फ और च
तिब्बत वासी कहते तिब्बती
उसमें त, ब, त,

नेपाली कहते हैं मैथिली,
उसमें अक्षर म, थ, ल,
अफ्रीकी कहते हैं जुलु,
उसमें ज और ल,

हर भाषा में है हिन्दी अक्षर,
हिन्दी में है क्या, कोई भाषा?
हिन्दी ने अ से ज्ञ तक,
हर भाषा को स्वयं से तराशा,

अब महत्व हिन्दी का मानो,
क्षमता हिन्दी की पहचानो,
शर्म नहीं आदर दो इसको,
महिमा हिन्दी की जानो,

क्षेत्र- क्षेत्र की भाषाओं से,
हिन्दी को अब मत बाँटो,
अपनी- अपनी भाषाओं से,
हिन्दी के अक्षर छाँटो,

अलग़ नहीं कर पाओगे,
ख़ुद को अ से ज्ञ तक,
अ से अधूरा ज्ञ से ज्ञान,
पहुँचाये ग़र्त के पथ तक,

सब सम्मिलित है हिन्दी में ही,
मानो और सम्मान करो,
हम हिन्दुस्तानी भाषा हिन्दी,
इस वक्तव्य पर अभिमान करो |

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