Wednesday, December 7, 2011

तेरा जाना

खो गया मेरा अपना उसको कहाँ से लाऊँ
कहाँ- कहाँ पुकारूं और मैं कहाँ जाऊं

दर- दर जगह- जगह में तुम याद बन बसे हो
हर चीज़ में छुपे हो हर आस में सजे हो
क्या मिन्नतें करूँ कि तुमको मैं फिर से पाऊँ
कहाँ- कहाँ पुकारूं और मैं कहाँ जाऊं

हर पल में तुमको चाहा हर पल में तुम बसे थे
दिल को भी छू के देखा धड़कन में तुम सजे थे
जो तुमसे थी धड़कती धड़कन वो क्या सुनाऊँ
कहाँ- कहाँ पुकारूं और मैं कहाँ जाऊं

मैं खत्म करूँ कैसे किस्सा जो बन गया है
मेरी जिंदगी का आकर हिस्सा जो बन गया है
किस- किस को मैं सुनाऊँ ये हाल क्या बताऊँ
कहाँ- कहाँ पुकारूं और मैं कहाँ जाऊं

मैं चीख के कहती हूँ मेरा सब तो खो गया है
मेरी आँख से जो गिरते कौन आंसू बो गया है
जो बोझ अब है दिल पे पलकों पे मैं उठाऊँ
कहाँ- कहाँ पुकारूं और मैं कहाँ जाऊं

मन इतना भर गया है खाली न हो रहा है 
है तू नहीं लेकिन ये तेरी  याद संजो रहा है
रब करे ये तुझको हरदम तेरी याद से मैं पाऊँ
कहाँ- कहाँ पुकारूं और मैं कहाँ जाऊं
खो गया मेरा अपना उसको कहाँ से लाऊँ



Tuesday, October 18, 2011

जांच-पड़ताल

पलक अलक का कैसा मायाजाल है?

पुष्प गुच्छ सी अलक गिराती
झप-झप, झप-झप पलक झुकाती
ह्रदय की मन में धड़क-धड़क धक् उछाल है. 


उलझे रेशम फैले स्कंधों पर गिरकर
ताने-बाने बिने नयन पर जैसे बुनकर
शब्दों से गोरे मुख की क्या पड़ताल है?

जांच सको तो उड़ें जो अलकें पकड़ो उनको
फिर न गिर सकें नयन नयन से जकड़ो उनको
फिर देखो कि प्रेम का कैसा उबाल है.   

Friday, August 19, 2011

बड़ा मुश्किल है

बड़ा मुश्किल है सब सह पाना
जो दिल के दर्द हैं कह पाना

जब तेरे बिना मजबूर हों हम
दुनिया में कहीं भी रहने को
तब तेरे बिना रह पाना
बड़ा मुश्किल है सब सह पाना

जो बिखरी मेरे अश्कों से हो
दुनिया भर की पुरवाई में
तेरी यादों को दिल में तह पाना
बड़ा मुश्किल है सब सह पाना

Monday, August 8, 2011

आज़ादी

किस आज़ादी की बात करते हैं हम? आज़ाद देश कहाँ जा रहा है किसी को फिकर है? तकरीबन ग्यारहवीं शताब्दी से भारत गुलाम था जिस पर इंग्लिश शासन ने सोलहवीं शताब्दी में अपनी नज़र डाली और उन्नीसवीं सदी तक इसे पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया जिससे भारत को १५ अगस्त १९४७ को स्वतंत्रता भी मिल गई पर इस बीच कहाँ है नारी समाज जो आज भी स्वतंत्र है इसमें शक है। स्त्रियों को अपनी सोच के अनुसार न चलने देना, उनकी पढाई पर अभी भी परिवार वालों द्वारा रोक, बेटी को गर्भ में ही मार डालना और येन केन प्रकारेण यदि पैदा हो जाये तो पैदा होते ही उसे मार डालना, भाइयों से भेदभाव सहन करना अभी भी बहुत जगहों पर स्त्री जाति की मजबूरी है। अलग-अलग जगहों पर स्त्रियाँ अलग-अलग प्रकार से पुरुषों द्वारा और सच कहूँ तो स्त्रियों द्वारा भी शोषण का शिकार बनती हैं। स्त्रियों का खुद से बेहतर होना पुरुष वर्ग अपनी तौहीन मानता है जिसके लिए उन्हें किसी न किसी बहाने से नीचा दिखाने की कोशिश करता है यह न तो एक स्वस्थ मानसिकता है न ही स्वतंत्र। फिर भी भारत आज़ाद है तो बधाई है इस आज़ादी की। जिस आज़ादी के लिए स्त्रियों ने भी पुरुषों के कंधे से कन्धा मिलाया भले उनकी संख्या कम रही हो बधाई है इस आज़ादी की।

Tuesday, May 31, 2011

शाम

शाम उठती है शाम आती है
रातों में छम-छम शाम चलती है
दिन में सोती है दिन गुजरता है
शाम उठती है शाम आती है

शाम गुलाबी है शाम शराबी है
यौवन ही शाम की खराबी है
चाँद आके जो दस्तक देता है
शाम उठती है शाम आती है

शाम रंगीन है शाम तस्कीन है
सबकी दुआओं में शाम आमीन है
महफ़िल का जब भी समां बंधता है
शाम उठती है शाम आती है

Saturday, May 28, 2011

दर्द

हर दर्द यूँही पी लेंगे हम लोग ऐसे भी जी लेंगे
जब उठने लगेगी उंगली तो अपने होंठों को सी लेंगे
हर दर्द यूँही पी लेंगे हम लोग ऐसे भी जी लेंगे

मैं अपनी कहूँ तू अपनी सुना हम इक दूजे के खैरख्वाह
बस इक दूजे से भूली बिसरी कही सुनी बीती लेंगे
हर दर्द यूँही पी लेंगे हम लोग ऐसे भी जी लेंगे

न तेरी सुनने वाला कोई न मेरी सुनने वाला कोई
हर गम में हर मुश्किल में भी इक दूजे की सुध हम ही लेंगे
हर दर्द यूँही पी लेंगे हम लोग ऐसे भी जी लेंगे

Tuesday, May 24, 2011

दीवानगी

मेरी दीवानगी नज़र आये
तेरी जब ये नज़र जिधर जाए
फूल बनके मैं खिलूँ जिस रंग का
रंग तुझमें सभी उतर जाये
मेरी दीवानगी नज़र आये

मैं लगूं आसमां जमीं तुझको
तू जो देखे कभी कहीं मुझको
चाहे रब ने बनाया जैसा भी
रूप मेरा तभी संवर जाए
तेरी जब ये नज़र जिधर जाए

मुझसे हो जिंदगी बसर तेरी
मैं बनूँ हाँ के रहगुजर तेरी
तेरा जब साथ मिले तुझ सी ही
मेरी भी जिंदगी गुजर जाए
मेरी दीवानगी नज़र आये

Saturday, May 14, 2011

एहसास

जब मन थकता है तब यूँही
तुम आ जाते हो पास मेरे
और दर्द के पल बन जाते हो
सबसे मीठे एहसास मेरे

मुझे थामते हो गिरने से पहले
जैसे प्रीत को थामे मन
और जब बसते हो साँसों में
सब मिट जाती मेरी उलझन
आना क्या और जाना क्या
हर पल रहते तुम साथ मेरे
और दर्द के पल बन जाते हो
सबसे मीठे एहसास मेरे

Thursday, May 5, 2011

बदनाम

तुम्हें याद करना अब तो ये काम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है

हमने तो देखा था आँखें उठा के भर
दिल में तुम्हारा इन्तेजाम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है

बनकर जो चाह घूमें 'अनाम' ही हम
मजनू मगर अपना नाम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है

रस्ते देखे थे जितने भी अब तक सबपे
चर्चा हमारा ही आम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है

Sunday, May 1, 2011

राम जी

मेरा राम जी के मंदिर में जाना जरूरी

राम जी की मैं हूँ सिया
राम जी बिना न लागे हिया
राम नाम का प्रसाद पाना जरूरी
मेरा राम जी के मंदिर में जाना जरूरी

राम जी की मैं छोटी भक्तिन
राम जी को मेरा तन-मन है अरपन
राम जी का मेरे मन में छाना जरूरी
मेरा राम जी के मंदिर में जाना जरूरी

Friday, April 22, 2011

रहते हैं कहीं हम

रहते हैं कहीं हम आँखों में
छुपते हैं कभी हम साँसों में
तुम सामने होते हो जिस दम
होते हैं हसीं हम लाखों में

हम हो जाते हैं फ़िदा तुमपे
जब हैं होते तुम्हारी बातों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में

हम बेल हैं तुम मेरा हो वो सहारा
जिन्हें ढूंढ़ते हैं हम शाखों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में

तुम हमको छोड़ना भी न कभी
के बदल जायेंगे हम राखों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में

Wednesday, April 13, 2011

जिन्दगी क्या है

मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये
जिंदगी क्या है कई शौक़ ये कहा जाये
फिर मेरा शौक़ क्यों औरों से न सहा जाए
मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये

मैंने जब भी रखा है हाथ किसी चाहत पर
सबने बस ठोकरें दीं हैं मुझे आहत कर
जिंदगी क्या है कई शौक़ क्यों कहा जाये
मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये

मुझसे दिल ने कहा जब भी,' वो तेरी मंजिल है।'
मांग लूं मैं जो, मुझे क्या 'वो' कभी हासिल है ?
हम तो हर वक़्त बस इक गम का ही पता पाए
मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये

Thursday, March 17, 2011

होली के रंग

१- रंग खुलतेहैं रंग खिलते हैं
होली के दिन सब गले मिलते हैं
बात रंगों की साथ रंगों का
ऐसे ही सबके दौर चलते हैं।

२- मुस्कुरा के थोड़ा छलकाइये तो रंग
इस हंसी राह पर आइये तो संग
फूल भी खिले हैं फुहार भी मची है
ऐसी कहीं होगी और कहाँ तरंग।

३- बात रंगों की इस होली पर
भूल जाने दो मन के सारे डर
डूब जाने दो अब तो रंगों में
डूबो तुम भी मेरे संग आकर।

४- नीले पीले लाल गुलाबी रंगों का मौसम
रहे संग तो कितना अच्छा हो जीवन हरम
इन रंगों की बात चले तो बस इनमें रंग जाओ
हम भी खूब उड़ायें गुलाल तुम भी खूब उड़ाओ।

५- उड़ कर आई है फुहार अब तो लगा लो गले
एक कहाँ आज के दिन तो दो तीन भले
इतना सजा दो रंगों को खिल- खिल खुल- खुल बिखरें
तब-तब उड़-उड़ गिरते रहें जब-जब हवा चले।

६- रंगों की खुशियाँ रंगों का मौसम
रंगों सा बदले जीवन ये हरदम
फिर भी रंग हो हरपल रंगों से
आये या जाए कितने भी सावन।

७- रंग भरी निशा-निशा
खिल उठी है दिशा-दिशा
रंगों का शोर मचा
बही पवन तेज़ आहिस्ता।

८- रात रंगों की दिन हो रंगोंका
सुबह मुस्काये शाम शरमाये
इतने रगों में क्या मैं कैसे चुनूँ
कोइ तो इतना हमसे कह जाए।

९- रंगों से फिजा महकी-महकी जाती है
जब भी आती है रंगों की बात आती है
महके-महके से गुलाल उड़ते हैं बिखरते हैं
बात मौसम की ये अनाम जान जाती है।

१०-गुझिया मीठी मुस्कान सी पापड़ खिलखिलाते
और मिठाई मन हर लेती दही बड़े बहलाते
हर मन बिक जाने को तत्पर प्रेमभाव की बोली में
रंगों की इस होली में
आप सभी को होली की शुभकामनाएं

Tuesday, March 15, 2011

मेरी रूह

तेरी गर्म सांस का आलम मेरी रूह पिघलती जाए
बेकार बहारी मौसम मेरी रूह पिघलती जाए

हूँ दूर मैं तब भी हालत दीवानों सी हुई
आकाश की ऊंचाई मेरे अरमानों ने छुई
बढ़- बढ़ फिर मद्धम- मद्धम मेरी रूह पिघलती जाए
बेकार बहारी मौसम मेरी रूह पिघलती जाए

मेरी सांस- सांस कहती है तेरी साँसों संग चलेगी
चाहे मैं कहीं भी रहूँ पर तेरे सीने ही में पलेगी
चाहे हो जहाँ भी तू हमदम मेरी रूह पिघलती जाए
बेकार बहारी मौसम मेरी रूह पिघलती जाए

इक बार कहा नज़रों ने तुझे देख- देख जी लेंगी
मर जाए ये जिस्म मगर रस तेरे चहरे का पियेंगी
तेरी सूरत मेरा मरहम मेरी रूह पिघलती जाए
बेकार बहारी मौसम मेरी रूह पिघलती जाए

Thursday, March 3, 2011

दाग

इक दाग लगा दिल में और क्या है यहाँ रखा
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा

उम्मीदे वफ़ा थी जो नाकाम हो गई
और मेरी वफ़ा लुटकर बदनाम हो गई
कोइ रोज़ रहा दिल में हर राज पता रखा
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा

हर बार हम झुके थे फिर झुक के गिर गए
लौटे थे जिसके दर से उसी दर पे फिर गए
जो मेरा था उसी ने खुद को मुझसे छुपा रखा
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा

मेरी मौत आये या हम दर मौत के जाएँ
कोइ बता दे रस्म-ए- वफ़ा कैसे निभाएं
जितना जलाया खुद को उसे रोशन कर दिया
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा

Friday, February 18, 2011

शरारत

मुझको इक बार शरारत का मज़ा लेने तो दो
तुमको जो मुझसे गिला उसकी सजा लेने तो दो
मुझको इक बार शरारत का मज़ा लेने तो दो

मैं न आया, था जो वादा तुम्हें है उसका गिला
मैं था आया तुम्हें मिला न मुझे उसका मजा
कितने शिकवे हैं तुम्हें उनका पता लेने तो दो
मुझको इक बार शरारत का मज़ा लेने तो दो

तेरी नज़रों में हैं कितने छलकते पैमाने
गिरते पल- पल तो हैं मदहोश सभी मयखाने
इतनी हसरत है जिसकी उसका नशा लेने तो दो
मुझको इक बार शरारत का मज़ा लेने तो दो

हम हैं कितने दीवाने तेरे ये तुम्हें क्या पता
हमने की जो भी खता उसके लिए अब न सता
जितना तरसा हूँ उसमें थोड़ा सता लेने तो दो
मुझको इक बार शरारत का मज़ा लेने तो दो

Sunday, February 6, 2011

फरियादें

रूह से तेरी निकलती हैं जितनी फरियादें
उन्ही फरियादों में कहीं मैं हुआ करता हूँ

जितनी धड़कन है तेरी गर्म साँसों में
यार गिन- गिन के सुना करता हूँ

तुम मुझे मिलना न चाहो हकीकत में पर
ख्वाब में तुमसे हर कहीं मैं मिला करता हूँ

जलाया है इसी हुस्न से तूने मुझे
मगर आबाद हो तेरा हुस्न दुआ करता हूँ

तेरी ख्वाहिश में तेरे सुख औ ख़ुशी के सदके
अपना पल- पल तेरी राहों में फ़ना करता हूँ

Monday, January 31, 2011

जन्मदिन

कल मेरेछोटे से बेटे का जन्मदिन था। कल तो मैं अति व्यस्तता के कारण कुछ लिख नहीं सकी पर आज उसके लिए लिख रही हूँ। चाहती हूँ कि आप सभी उसे अपना आशीर्वाद दें -

दिन की खुशियाँ हसीन साये सी
तुमसे आकर इस दिन लिपट जाएँ
रंग जितने जहाँ में बिखरे हों
एक इस दिन तुम में उलझ जाएँ

जितने भी दिन ये खिले सूरज अब
और किरणें अब इसकी जितनी हों
रातों को चाँद जितने दिन आये
चाँदनी तुम में सब सिमट जाए

जितने भी पल हैं जहाँ में शामिल
हर वो पल तुम में शामिल रहने लगे
सारे झरनों की सारी मीठी धुनें
तुम्हारी मुस्कान संग किलक जाएँ

Thursday, January 27, 2011

तेरा नाम

जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
उतनी ही सांस आई फिर हम न जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके

जितना भी संग रहा तेरा प्यार बस रहा
विरहा की आग में हरगिज न जल सके
उतनी ही सांस आई फिर हम जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके

अफ़सोस कुछ नहीं देखा न जहाँ मैंने
उतना ही चलना था जो तेरे साथ चल सके
उतनी ही सांस आई फिर हम जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके

Monday, January 24, 2011

साया

चाँद जैसे चहरे पे बिखरी हैं जो बादल बनी
उनकी जुल्फों की नज़र ये शाम कर दी जाएगी

वो अगर साया बनें तो कह दे उनसे ये 'अनाम'
रोशनी परछाइयों के नाम कर दी जाएगी

हाँ वो कह दें हम जहाँ में नाम कुछ पा जायेंगे
अपनी भी कहानी हर जगह पर आम कर दी जाएगी

भरी महफ़िल ले लें वो मेरा सलाम सच कहूँ
आशिकी रुसवाइयों के दाम कर दी जाएगी।

Thursday, January 20, 2011

तेरा रंग

दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है
मेरी नज़रों से पूछे कोई ये क्या गम है जो ढलता है
दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है

महसूस करूँ जो कुछ भी मैं
वो तूने नहीं मसूस किया
अब सिसकूं मैं रोऊँ या कुछ भी करूँ
हैरान हूँ जो दिल तुझको दिया
तेरा रस्ता जो रोके कोई मेरा साया संग चलता है
दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है

कुछ पास नहीं है मेरे
दिल जां साँसें सारी तुम्हें दीं
पर सबके बदले में अब मैंने
ये कौन सी मुश्किल ली
तेरा दिल चाहे धड़के कहीं मेरा नाम उछलता है
दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है

Tuesday, January 4, 2011

साम- दाम

ढूंढ लेना लकड़ियाँ छांट लेना सूखे पत्ते
एक और शाम का इन्तेजाम कर लेना

ठण्ड को भगाने में सूर्य पीछे हट गया
आग को जला के ये ठण्ड तमाम कर लेना

कर न सको ऐसा तो कोयलों को ला लेना
किसी- किसी तरह से गर्म शाम कर लेना

सडकों के रहने वालों और कुछ मिलेगा नहीं
धरा पे लेट ओढ़ आसमां आराम कर लेना

गर बच जाओ मौत से तो ये सब आजमा लेना
मैंने जो कहा है कोइ एक काम कर लेना

मैं तो सियासत हूँ महलों में सदा गर्म हूँ
तुम मेरे मोहरों से साम- दाम कर लेना

Sunday, January 2, 2011

नव वर्ष

नव अभिनन्दन नव वर्ष का
शांति के तू दीप जला
नव अभिनन्दन नव वर्ष का

पर्व यह उल्लास का
इक वर्ष उम्र का और बीत गया
नव अभिनन्दन नव वर्ष का

पुष्पों से सौरभ स्मित ले
ले पवन से शीतलता
नव अभिनन्दन नव वर्ष का

गगन सा हो विशाल मन
सागर का मोती बन जा
नव अभिनन्दन नव वर्ष का

धरती से ले खुशहाली
बसंत से ले मधुमयता
नव अभिनन्दन नव वर्ष का

जल से लेकर सादापन
उज्जवल निर्मल गीत गा
नव अभिनन्दन नव वर्ष का

सर्व धर्म समभाव की
चलती रहे प्रतिवर्ष प्रथा
नव अभिनन्दन नव वर्ष का

आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं