बदहाली पर 'केदार' की
खुशहाल हुआ केदार,
माँ लौटी, लौटे पिता
देख प्रचण्ड अवतार रूद्र का
देख प्रचण्ड अवतार।
खुशहाली पर 'केदार' की
बेहाल हुआ करतार,
न पत्नी लौटी न बच्चा
उजड़ गया संसार ,
देख प्रचण्ड अवतार रूद्र का
देख प्रचण्ड अवतार।
मानो शिव ने खोल जटा
गंगा पृथ्वी पे बुलाई हो,
कभी न देखा इतने प्राणी लील
नदी हर्षाई हो।
पर आवेग देख तरणी का
ग्राम सभी जो विलुप्त हुए,
कोई जान सका न नदी में
कितने प्राणी सुप्त हुए।
बस जायगा फिर 'केदार'
धाम वहीं बन जाएगा,
फिर पूजा जाएगा शिव को
फिर मजमा लग जाएगा
पर करतार का पत्नी बच्चा
कभी न वापस आयेगा,
क्या करतार उन्हें लेने
'केदार' कभी फिर जाएगा
फिर खुशहाली पर 'केदार' की
बेहाल हुआ करतार,
न पत्नी लौटी न बच्चा
उजड़ गया संसार ,
देख प्रचण्ड अवतार रूद्र का
देख प्रचण्ड अवतार।
खुशहाल हुआ केदार,
माँ लौटी, लौटे पिता
देख प्रचण्ड अवतार रूद्र का
देख प्रचण्ड अवतार।
खुशहाली पर 'केदार' की
बेहाल हुआ करतार,
न पत्नी लौटी न बच्चा
उजड़ गया संसार ,
देख प्रचण्ड अवतार रूद्र का
देख प्रचण्ड अवतार।
मानो शिव ने खोल जटा
गंगा पृथ्वी पे बुलाई हो,
कभी न देखा इतने प्राणी लील
नदी हर्षाई हो।
पर आवेग देख तरणी का
ग्राम सभी जो विलुप्त हुए,
कोई जान सका न नदी में
कितने प्राणी सुप्त हुए।
बस जायगा फिर 'केदार'
धाम वहीं बन जाएगा,
फिर पूजा जाएगा शिव को
फिर मजमा लग जाएगा
पर करतार का पत्नी बच्चा
कभी न वापस आयेगा,
क्या करतार उन्हें लेने
'केदार' कभी फिर जाएगा
फिर खुशहाली पर 'केदार' की
बेहाल हुआ करतार,
न पत्नी लौटी न बच्चा
उजड़ गया संसार ,
देख प्रचण्ड अवतार रूद्र का
देख प्रचण्ड अवतार।