Wednesday, November 24, 2010

प्यार है या कोइ और

सपनों में मेरे रहा करे फिर भी मुझे खुद से जुदा कहे
ये प्यार है या कोइ और जिसकी नज़र दिल छुआ करे

बातें हैं जिसकी लब पे वही मुझसे कहे तुम नहीं सही
जो मैंने सोचा था वो प्यार की बातें उसने क्यों न कहीं
प्यार को खुदा कहे पर प्यार से जुदा रहे
ये प्यार है या कोइ और जिसकी नज़र दिल छुआ करे

हमको दीवाना जिसने बनाया प्यार का पाठ जिसने सिखाया
उसको दिया दिल तो उसने मेरे प्यार को बेवकूफी बताया
दिल में मेरे जिसकी झलक है लब न जिसे बेवफा कहे
ये प्यार है या कोइ और जिसकी नज़र दिल छुआ करे

सपनों में मेरे रहा करे फिर भी मुझे खुद से जुदा कहे
ये प्यार है या कोइ और जिसकी नज़र दिल छुआ करे

Saturday, November 20, 2010

सज़ा

अब तो ये जिस्म सज़ा लगता है
तेरे बिन बददुआ लगता है

तुमसे हट के थी मांगी तन्हाई
मेरी तन्हाई में इक शोर मचा लगता है

सर्द सा शोर उठा दिल में कहीं
दिल भी अब बाजुबां लगता है

बेजुबान हो गए हैं लफ्ज मेरे
नज़रों को लफ्ज मिला लगता है

मिल के तुमसे हुए दूर गिले
तुमसे हर शिकवा बयाँ लगता है

अब बयाँ कुछ भी कहीं और नहीं
तुमसे मिलना ही अब तो नया लगता है
अब तो ये जिस्म सज़ा लगता है

Monday, November 15, 2010

जाने क्यों

जाने क्यों ----------
दिल लगा के कहीं खो दिया जाने क्यों
जाने क्यों ----

फासलों से नहीं हम डरे थे मगर
पास आकर ये दिल रो दिया जाने क्यों
जाने क्यों ----

हाले दिल जितने भी खींचे थे अम्बर पर
आँखों से बदली ने धो दिया जाने क्यों
जाने क्यों ----

है शिकायत यही रब ने भी क्या चली
मन भीगी यादों से भिगो दिया जाने क्यों
जाने क्यों ----

जब भी पलटे यही पाया वो था खड़ा
हर बार दिल जानकर भी उसको दिया जाने क्यों
जाने क्यों ----

जाने kyon