पलक अलक का कैसा मायाजाल है?
पुष्प गुच्छ सी अलक गिराती
झप-झप, झप-झप पलक झुकाती
ह्रदय की मन में धड़क-धड़क धक् उछाल है.
उलझे रेशम फैले स्कंधों पर गिरकर
ताने-बाने बिने नयन पर जैसे बुनकर
शब्दों से गोरे मुख की क्या पड़ताल है?
जांच सको तो उड़ें जो अलकें पकड़ो उनको
फिर न गिर सकें नयन नयन से जकड़ो उनको
फिर देखो कि प्रेम का कैसा उबाल है.
पुष्प गुच्छ सी अलक गिराती
झप-झप, झप-झप पलक झुकाती
ह्रदय की मन में धड़क-धड़क धक् उछाल है.
उलझे रेशम फैले स्कंधों पर गिरकर
ताने-बाने बिने नयन पर जैसे बुनकर
शब्दों से गोरे मुख की क्या पड़ताल है?
जांच सको तो उड़ें जो अलकें पकड़ो उनको
फिर न गिर सकें नयन नयन से जकड़ो उनको
फिर देखो कि प्रेम का कैसा उबाल है.
भाव हैं पर प्रांजलता अवरुद्ध है।
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,