Friday, September 24, 2010

कैफ-ए-दिल

कैफ-ए-दिल क्या बयां करूं तुमसे
तुमको पाने की कितनी ख्वाहिश है
कैफ-ए-दिल क्या बयां करूं तुमसे

ले जाएँ मेरी सदायें तुम तक
इन हवाओं से ये गुजारिश है
कैफ-ए-दिल क्या बयां करूं तुमसे

अब मेरे अश्क यूं बरसते हैं
मुझसे सहमी हुई तो बारिश है
कैफ-ए-दिल क्या बयां करूं तुमसे

तुमने छोड़ा तो ऐसा हाल हुआ
मेहरबान आज मुझपे गर्दिश है
कैफ-ए-दिल क्या बयां करूं तुमसे

तुम मेरे साथ नहीं तो ये आईने कहते
मुझमें जो शख्स है वो मुफलिस है
कैफ-ए-दिल क्या बयां करूं तुमसे

कैफ-ए-दिल क्या बयां करूं तुमसे
तुमको पाने की कितनी ख्वाहिश है
कैफ-ए-दिल क्या बयां करूं तुमसे

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