सपनों में मेरे रहा करे फिर भी मुझे खुद से जुदा कहे
ये प्यार है या कोइ और जिसकी नज़र दिल छुआ करे
बातें हैं जिसकी लब पे वही मुझसे कहे तुम नहीं सही
जो मैंने सोचा था वो प्यार की बातें उसने क्यों न कहीं
प्यार को खुदा कहे पर प्यार से जुदा रहे
ये प्यार है या कोइ और जिसकी नज़र दिल छुआ करे
हमको दीवाना जिसने बनाया प्यार का पाठ जिसने सिखाया
उसको दिया दिल तो उसने मेरे प्यार को बेवकूफी बताया
दिल में मेरे जिसकी झलक है लब न जिसे बेवफा कहे
ये प्यार है या कोइ और जिसकी नज़र दिल छुआ करे
सपनों में मेरे रहा करे फिर भी मुझे खुद से जुदा कहे
ये प्यार है या कोइ और जिसकी नज़र दिल छुआ करे।
बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है आपने, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteमैं करता हूँ जब ज़ाहिर बीवी से जज़्बात अपने
ReplyDeleteकहती है वो फ़ुर्सत मिले तो देखूं दिखाऊं जज़्बात अपने
वो लगी है अपने बच्चों में और मैं ब्लाग पर
यूं मसरूफ़ होकर हम काटते हैं दिन रात अपने
very nice,keep writing
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