हर दर्द यूँही पी लेंगे हम लोग ऐसे भी जी लेंगे
जब उठने लगेगी उंगली तो अपने होंठों को सी लेंगे
हर दर्द यूँही पी लेंगे हम लोग ऐसे भी जी लेंगे
मैं अपनी कहूँ तू अपनी सुना हम इक दूजे के खैरख्वाह
बस इक दूजे से भूली बिसरी कही सुनी बीती लेंगे
हर दर्द यूँही पी लेंगे हम लोग ऐसे भी जी लेंगे
न तेरी सुनने वाला कोई न मेरी सुनने वाला कोई
हर गम में हर मुश्किल में भी इक दूजे की सुध हम ही लेंगे
हर दर्द यूँही पी लेंगे हम लोग ऐसे भी जी लेंगे
बहुत बढ़िया लिखा है आपने.
ReplyDeleteसादर
सुंदर रचना ,बधाई ....
ReplyDeleteDhanyawaad sunil ji aur yashwant ji
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