तुम्हें याद करना अब तो ये काम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है
हमने तो देखा था आँखें उठा के भर
दिल में तुम्हारा इन्तेजाम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है
बनकर जो चाह घूमें 'अनाम' ही हम
मजनू मगर अपना नाम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है
रस्ते देखे थे जितने भी अब तक सबपे
चर्चा हमारा ही आम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है।
रस्ते देखे थे जितने भी अब तक , सबपे चर्चा हमारा ही आम हो गया है|
ReplyDeleteअगर इस तरह लिखें तो मेरे विचार में अच्छा रहेगा | अच्छी रचना , बधाई