Thursday, May 5, 2011

बदनाम

तुम्हें याद करना अब तो ये काम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है

हमने तो देखा था आँखें उठा के भर
दिल में तुम्हारा इन्तेजाम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है

बनकर जो चाह घूमें 'अनाम' ही हम
मजनू मगर अपना नाम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है

रस्ते देखे थे जितने भी अब तक सबपे
चर्चा हमारा ही आम हो गया है
दीवाना दिल मुफ्त में बदनाम हो गया है

1 comment:

  1. रस्ते देखे थे जितने भी अब तक , सबपे चर्चा हमारा ही आम हो गया है|
    अगर इस तरह लिखें तो मेरे विचार में अच्छा रहेगा | अच्छी रचना , बधाई

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