Tuesday, May 24, 2011

दीवानगी

मेरी दीवानगी नज़र आये
तेरी जब ये नज़र जिधर जाए
फूल बनके मैं खिलूँ जिस रंग का
रंग तुझमें सभी उतर जाये
मेरी दीवानगी नज़र आये

मैं लगूं आसमां जमीं तुझको
तू जो देखे कभी कहीं मुझको
चाहे रब ने बनाया जैसा भी
रूप मेरा तभी संवर जाए
तेरी जब ये नज़र जिधर जाए

मुझसे हो जिंदगी बसर तेरी
मैं बनूँ हाँ के रहगुजर तेरी
तेरा जब साथ मिले तुझ सी ही
मेरी भी जिंदगी गुजर जाए
मेरी दीवानगी नज़र आये

3 comments:

  1. दीवानगी की हद, खुबसूरत अहसास , बधाई .....

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  2. मन के भावों की अच्छी अभिव्यक्ति।

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