जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
उतनी ही सांस आई फिर हम न जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
जितना भी संग रहा तेरा प्यार बस रहा
विरहा की आग में हरगिज न जल सके
उतनी ही सांस आई फिर हम न जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
अफ़सोस कुछ नहीं देखा न जहाँ मैंने
उतना ही चलना था जो तेरे साथ चल सके
उतनी ही सांस आई फिर हम न जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
bahut khoob. aap bahut achchha likhti hain. isi tarah likhti rahiye.
ReplyDeleteDhanyawaad Sir
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