Tuesday, January 4, 2011

साम- दाम

ढूंढ लेना लकड़ियाँ छांट लेना सूखे पत्ते
एक और शाम का इन्तेजाम कर लेना

ठण्ड को भगाने में सूर्य पीछे हट गया
आग को जला के ये ठण्ड तमाम कर लेना

कर न सको ऐसा तो कोयलों को ला लेना
किसी- किसी तरह से गर्म शाम कर लेना

सडकों के रहने वालों और कुछ मिलेगा नहीं
धरा पे लेट ओढ़ आसमां आराम कर लेना

गर बच जाओ मौत से तो ये सब आजमा लेना
मैंने जो कहा है कोइ एक काम कर लेना

मैं तो सियासत हूँ महलों में सदा गर्म हूँ
तुम मेरे मोहरों से साम- दाम कर लेना

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