Monday, January 24, 2011

साया

चाँद जैसे चहरे पे बिखरी हैं जो बादल बनी
उनकी जुल्फों की नज़र ये शाम कर दी जाएगी

वो अगर साया बनें तो कह दे उनसे ये 'अनाम'
रोशनी परछाइयों के नाम कर दी जाएगी

हाँ वो कह दें हम जहाँ में नाम कुछ पा जायेंगे
अपनी भी कहानी हर जगह पर आम कर दी जाएगी

भरी महफ़िल ले लें वो मेरा सलाम सच कहूँ
आशिकी रुसवाइयों के दाम कर दी जाएगी।

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