Friday, December 3, 2010

नाता

जो तुमसे अजब सा नाता है
सबसे ये कहाँ निभ पाता है
जो तुमसे अजब सा नाता है

हम जलते- जलते रहते हैं
जब भी इसमें कोइ आता है
जो तुमसे अजब सा नाता है

तुम जान भले लो जुदा मत होना
हर दर्द सहा नहीं जाता है
जो तुमसे अजब सा नाता है

2 comments:

  1. छोटी सी कविता में बडी बातें। मजा आ गया। जरूरी नहीं कि शब्‍दों को चाशनी की, सहजता से भी बडी बातें कही जा सकती है। कभी मेरे ब्‍लाग में भी आईए।
    atulshrivastavaa.blogspot.com

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