Thursday, December 30, 2010

दीवानगी

दीवानगी है इतनी कैसे दिखाएँ तुमको
ख़ुशी से दूर हुए हैं क्या बताएं तुमको

तड़प है आँख में जो हर कहीं सताती है
ये नींद कैसी है जो रात भर जगाती है
मगर खलिश ये है कि कैसे जगाएं तुमको
दीवानगी है इतनी कैसे दिखाएँ तुमको

उदास रात में जो राह से गुजरते हैं
दिखे थे तुम जहाँ उस जगह पे ठहरते हैं
कहाँ से देके सदा कैसे बुलाएं तुमको
दीवानगी है इतनी कैसे दिखाएँ तुमको

दीवानगी है इतनी कैसे दिखाएँ तुमको
ख़ुशी से दूर हुए हैं क्या बताएं तुमको

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