Monday, December 20, 2010

दिल में घर

आँखों से उतर के दिल में मेरे घर बना लिया
इतना तो आसां न था मेरे दिल का रास्ता

रहने लगे हक-ब-हक खबर भी नहीं दी
इसी कोने में रहता था मैं फिकर भी नहीं की
अब तो जो हो रहा है वो नया सा है जज्बा
इतना तो आसां था मेरे दिल का रास्ता

पहचान पूछता रहा अनजान जान बन गए
कर लिया कब्ज़ा खुदगर्ज बेईमान बन गए
दिल लेके हमें प्यार का सपना दिखा दिया
इतना तो आसां था मेरे दिल का रास्ता

आँखों से उतर के दिल में मेरे घर बना लिया
इतना तो आसां था मेरे दिल का रास्ता

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