रहते हैं कहीं हम आँखों में
छुपते हैं कभी हम साँसों में
तुम सामने होते हो जिस दम
होते हैं हसीं हम लाखों में
हम हो जाते हैं फ़िदा तुमपे
जब हैं होते तुम्हारी बातों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में
हम बेल हैं तुम मेरा हो वो सहारा
जिन्हें ढूंढ़ते हैं हम शाखों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में
तुम हमको छोड़ना भी न कभी
के बदल जायेंगे हम राखों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में
तुम हमको छोड़ना भी न कभी
ReplyDeleteके बदल जायेंगे हम राखों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में.. sundar rachna...
बहुत सुन्दर भाव...
ReplyDeleteसादर बधाई...
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDelete