मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये
जिंदगी क्या है कई शौक़ ये कहा जाये
फिर मेरा शौक़ क्यों औरों से न सहा जाए
मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये
मैंने जब भी रखा है हाथ किसी चाहत पर
सबने बस ठोकरें दीं हैं मुझे आहत कर
जिंदगी क्या है कई शौक़ क्यों कहा जाये
मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये
मुझसे दिल ने कहा जब भी,' वो तेरी मंजिल है।'
मांग लूं मैं जो, मुझे क्या 'वो' कभी हासिल है ?
हम तो हर वक़्त बस इक गम का ही पता पाए
मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये
मुझसे दिल ने कहा जब भी,' वो तेरी मंजिल है।'
ReplyDeleteमांग लूं मैं जो, मुझे क्या 'वो' कभी हासिल है ?
हम तो हर वक़्त बस इक गम का ही पता पाए
मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये
खुबसूरत गज़ल , मुबारक हो........
सुंदर रचना।
ReplyDeleteबेहतरीन.
ReplyDeleteसादर
aap sabhi ko dhanyawaad
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