इक दाग लगा दिल में और क्या है यहाँ रखा
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा
उम्मीदे वफ़ा थी जो नाकाम हो गई
और मेरी वफ़ा लुटकर बदनाम हो गई
कोइ रोज़ रहा दिल में हर राज पता रखा
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा
हर बार हम झुके थे फिर झुक के गिर गए
लौटे थे जिसके दर से उसी दर पे फिर गए
जो मेरा था उसी ने खुद को मुझसे छुपा रखा
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा
मेरी मौत आये या हम दर मौत के जाएँ
कोइ बता दे रस्म-ए- वफ़ा कैसे निभाएं
जितना जलाया खुद को उसे रोशन कर दिया
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा
मेरी मौत आये या हम दर मौत के जाएँ
ReplyDeleteकोइ बता दे रस्म-ए- वफ़ा कैसे निभाएं
बहुत बढ़िया अनामिका जी.
khubsurat ahsas,aur abhivyakti bhi sundar shubhkamnayen...
ReplyDeleteDhanyawaad Yashwant ji aur Sunil sir
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