Thursday, March 3, 2011

दाग

इक दाग लगा दिल में और क्या है यहाँ रखा
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा

उम्मीदे वफ़ा थी जो नाकाम हो गई
और मेरी वफ़ा लुटकर बदनाम हो गई
कोइ रोज़ रहा दिल में हर राज पता रखा
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा

हर बार हम झुके थे फिर झुक के गिर गए
लौटे थे जिसके दर से उसी दर पे फिर गए
जो मेरा था उसी ने खुद को मुझसे छुपा रखा
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा

मेरी मौत आये या हम दर मौत के जाएँ
कोइ बता दे रस्म-ए- वफ़ा कैसे निभाएं
जितना जलाया खुद को उसे रोशन कर दिया
प्यार का जो किया सजदा टूट ही गई मेरी वफ़ा

3 comments:

  1. मेरी मौत आये या हम दर मौत के जाएँ
    कोइ बता दे रस्म-ए- वफ़ा कैसे निभाएं

    बहुत बढ़िया अनामिका जी.

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  2. khubsurat ahsas,aur abhivyakti bhi sundar shubhkamnayen...

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