Friday, August 13, 2010

दिल चाहता है

निगाहें मिलाने को दिल चाहता है
घड़ी दो घड़ी पास आने की चाहत
कि तुमको सताने को दिल चाहता है
निगाहें मिलाने को दिल चाहता है

नाजुक हो तुम बूँद से भी जियादा
बादल मैं बनकर सम्हालूँगा तुमको
आवारगी पर नज़र न करो
बिखरने से मैं बचा लूँगा तुमको
फिर भी तुम्हें फूंक सागर की सीप
में भी गिराने को दिल चाहता है
निगाहें मिलाने को दिल चाहता है

सनम खूबसूरत कहीं तुम ख्यालों से
तुम पर करें शायरी हैं इरादे
ऐसा तरन्नुम बनाएं तुम्हें
आशिक तुम्हारे हैं हम सीधे सादे
एक नज़र हम पे डालो ज़रा कि
तुम्हारे निशाने को दिल चाहता है
निगाहें मिलाने को दिल चाहता है

परी कोइ ऐसी नज़र में न होगी
जैसा बनाया खुदा ने तुम्हें
सारे जहां की नैमत है बख्शी
उसने तुम्हें अदा कर हमें
कि अब कुछ न मांगूं तुम्हें मांगकर
दिल से लगाने को दिल चाहता है
निगाहें मिलाने को दिल चाहता है

सहारा मिला आज ऐसा हमें
बाहों में तुम लेकर चले
अभी तक अकेले भटकते रहे
आज एक से तुम-हम दो भले
दिल तो मेरा गया खो है तुम्हें पर
नज़र में छुपाने को दिल चाहता है
निगाहें मिलाने को दिल चाहता है

निगाहें मिलाने को दिल चाहता है
घड़ी दो घड़ी पास आने की चाहत
कि तुमको सताने को दिल चाहता है
निगाहें मिलाने को दिल चाहता है।

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