Friday, April 22, 2011

रहते हैं कहीं हम

रहते हैं कहीं हम आँखों में
छुपते हैं कभी हम साँसों में
तुम सामने होते हो जिस दम
होते हैं हसीं हम लाखों में

हम हो जाते हैं फ़िदा तुमपे
जब हैं होते तुम्हारी बातों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में

हम बेल हैं तुम मेरा हो वो सहारा
जिन्हें ढूंढ़ते हैं हम शाखों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में

तुम हमको छोड़ना भी न कभी
के बदल जायेंगे हम राखों में
रहते हैं कहीं हम आँखों में

Wednesday, April 13, 2011

जिन्दगी क्या है

मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये
जिंदगी क्या है कई शौक़ ये कहा जाये
फिर मेरा शौक़ क्यों औरों से न सहा जाए
मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये

मैंने जब भी रखा है हाथ किसी चाहत पर
सबने बस ठोकरें दीं हैं मुझे आहत कर
जिंदगी क्या है कई शौक़ क्यों कहा जाये
मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये

मुझसे दिल ने कहा जब भी,' वो तेरी मंजिल है।'
मांग लूं मैं जो, मुझे क्या 'वो' कभी हासिल है ?
हम तो हर वक़्त बस इक गम का ही पता पाए
मुझसे कोई इतना सा मजा भी हो पूछा जाये