मुझको इक बार शरारत का मज़ा लेने तो दो
तुमको जो मुझसे गिला उसकी सजा लेने तो दो
मुझको इक बार शरारत का मज़ा लेने तो दो
मैं न आया, था जो वादा तुम्हें है उसका गिला
मैं था आया तुम्हें मिला न मुझे उसका मजा
कितने शिकवे हैं तुम्हें उनका पता लेने तो दो
मुझको इक बार शरारत का मज़ा लेने तो दो
तेरी नज़रों में हैं कितने छलकते पैमाने
गिरते पल- पल तो हैं मदहोश सभी मयखाने
इतनी हसरत है जिसकी उसका नशा लेने तो दो
मुझको इक बार शरारत का मज़ा लेने तो दो
हम हैं कितने दीवाने तेरे ये तुम्हें क्या पता
हमने की जो भी खता उसके लिए अब न सता
जितना तरसा हूँ उसमें थोड़ा सता लेने तो दो
मुझको इक बार शरारत का मज़ा लेने तो दो
Friday, February 18, 2011
Sunday, February 6, 2011
फरियादें
रूह से तेरी निकलती हैं जितनी फरियादें
उन्ही फरियादों में कहीं मैं हुआ करता हूँ
जितनी धड़कन है तेरी गर्म साँसों में
यार गिन- गिन के सुना करता हूँ
तुम मुझे मिलना न चाहो हकीकत में पर
ख्वाब में तुमसे हर कहीं मैं मिला करता हूँ
जलाया है इसी हुस्न से तूने मुझे
मगर आबाद हो तेरा हुस्न दुआ करता हूँ
तेरी ख्वाहिश में तेरे सुख औ ख़ुशी के सदके
अपना पल- पल तेरी राहों में फ़ना करता हूँ
उन्ही फरियादों में कहीं मैं हुआ करता हूँ
जितनी धड़कन है तेरी गर्म साँसों में
यार गिन- गिन के सुना करता हूँ
तुम मुझे मिलना न चाहो हकीकत में पर
ख्वाब में तुमसे हर कहीं मैं मिला करता हूँ
जलाया है इसी हुस्न से तूने मुझे
मगर आबाद हो तेरा हुस्न दुआ करता हूँ
तेरी ख्वाहिश में तेरे सुख औ ख़ुशी के सदके
अपना पल- पल तेरी राहों में फ़ना करता हूँ
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