Sunday, February 6, 2011

फरियादें

रूह से तेरी निकलती हैं जितनी फरियादें
उन्ही फरियादों में कहीं मैं हुआ करता हूँ

जितनी धड़कन है तेरी गर्म साँसों में
यार गिन- गिन के सुना करता हूँ

तुम मुझे मिलना न चाहो हकीकत में पर
ख्वाब में तुमसे हर कहीं मैं मिला करता हूँ

जलाया है इसी हुस्न से तूने मुझे
मगर आबाद हो तेरा हुस्न दुआ करता हूँ

तेरी ख्वाहिश में तेरे सुख औ ख़ुशी के सदके
अपना पल- पल तेरी राहों में फ़ना करता हूँ

2 comments:

  1. जितनी धड़कन है तेरी गर्म साँसों में
    यार गिन- गिन के सुना करता हूँ|
    khubsurat sher mubarak ho

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