कल मेरेछोटे से बेटे का जन्मदिन था। कल तो मैं अति व्यस्तता के कारण कुछ लिख नहीं सकी पर आज उसके लिए लिख रही हूँ। चाहती हूँ कि आप सभी उसे अपना आशीर्वाद दें -
दिन की खुशियाँ हसीन साये सी
तुमसे आकर इस दिन लिपट जाएँ
रंग जितने जहाँ में बिखरे हों
एक इस दिन तुम में उलझ जाएँ
जितने भी दिन ये खिले सूरज अब
और किरणें अब इसकी जितनी हों
रातों को चाँद जितने दिन आये
चाँदनी तुम में सब सिमट जाए
जितने भी पल हैं जहाँ में शामिल
हर वो पल तुम में शामिल रहने लगे
सारे झरनों की सारी मीठी धुनें
तुम्हारी मुस्कान संग किलक जाएँ
Monday, January 31, 2011
Thursday, January 27, 2011
तेरा नाम
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
उतनी ही सांस आई फिर हम न जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
जितना भी संग रहा तेरा प्यार बस रहा
विरहा की आग में हरगिज न जल सके
उतनी ही सांस आई फिर हम न जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
अफ़सोस कुछ नहीं देखा न जहाँ मैंने
उतना ही चलना था जो तेरे साथ चल सके
उतनी ही सांस आई फिर हम न जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
उतनी ही सांस आई फिर हम न जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
जितना भी संग रहा तेरा प्यार बस रहा
विरहा की आग में हरगिज न जल सके
उतनी ही सांस आई फिर हम न जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
अफ़सोस कुछ नहीं देखा न जहाँ मैंने
उतना ही चलना था जो तेरे साथ चल सके
उतनी ही सांस आई फिर हम न जी सके
जितनी भी सांस तक तेरा नाम लिख सके
Monday, January 24, 2011
साया
चाँद जैसे चहरे पे बिखरी हैं जो बादल बनी
उनकी जुल्फों की नज़र ये शाम कर दी जाएगी
वो अगर साया बनें तो कह दे उनसे ये 'अनाम'
रोशनी परछाइयों के नाम कर दी जाएगी
हाँ वो कह दें हम जहाँ में नाम कुछ पा जायेंगे
अपनी भी कहानी हर जगह पर आम कर दी जाएगी
भरी महफ़िल ले लें वो मेरा सलाम सच कहूँ
आशिकी रुसवाइयों के दाम कर दी जाएगी।
उनकी जुल्फों की नज़र ये शाम कर दी जाएगी
वो अगर साया बनें तो कह दे उनसे ये 'अनाम'
रोशनी परछाइयों के नाम कर दी जाएगी
हाँ वो कह दें हम जहाँ में नाम कुछ पा जायेंगे
अपनी भी कहानी हर जगह पर आम कर दी जाएगी
भरी महफ़िल ले लें वो मेरा सलाम सच कहूँ
आशिकी रुसवाइयों के दाम कर दी जाएगी।
Thursday, January 20, 2011
तेरा रंग
दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है
मेरी नज़रों से पूछे कोई ये क्या गम है जो ढलता है
दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है
महसूस करूँ जो कुछ भी मैं
वो तूने नहीं मसूस किया
अब सिसकूं मैं रोऊँ या कुछ भी करूँ
हैरान हूँ जो दिल तुझको दिया
तेरा रस्ता जो रोके कोई मेरा साया संग चलता है
दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है
कुछ पास नहीं है मेरे
दिल जां साँसें सारी तुम्हें दीं
पर सबके बदले में अब मैंने
ये कौन सी मुश्किल ली
तेरा दिल चाहे धड़के कहीं मेरा नाम उछलता है
दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है
मेरी नज़रों से पूछे कोई ये क्या गम है जो ढलता है
दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है
महसूस करूँ जो कुछ भी मैं
वो तूने नहीं मसूस किया
अब सिसकूं मैं रोऊँ या कुछ भी करूँ
हैरान हूँ जो दिल तुझको दिया
तेरा रस्ता जो रोके कोई मेरा साया संग चलता है
दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है
कुछ पास नहीं है मेरे
दिल जां साँसें सारी तुम्हें दीं
पर सबके बदले में अब मैंने
ये कौन सी मुश्किल ली
तेरा दिल चाहे धड़के कहीं मेरा नाम उछलता है
दिल चीर के देखे कोई तेरा रंग निकलता है
Tuesday, January 4, 2011
साम- दाम
ढूंढ लेना लकड़ियाँ छांट लेना सूखे पत्ते
एक और शाम का इन्तेजाम कर लेना
ठण्ड को भगाने में सूर्य पीछे हट गया
आग को जला के ये ठण्ड तमाम कर लेना
कर न सको ऐसा तो कोयलों को ला लेना
किसी- किसी तरह से गर्म शाम कर लेना
सडकों के रहने वालों और कुछ मिलेगा नहीं
धरा पे लेट ओढ़ आसमां आराम कर लेना
गर बच जाओ मौत से तो ये सब आजमा लेना
मैंने जो कहा है कोइ एक काम कर लेना
मैं तो सियासत हूँ महलों में सदा गर्म हूँ
तुम मेरे मोहरों से साम- दाम कर लेना
एक और शाम का इन्तेजाम कर लेना
ठण्ड को भगाने में सूर्य पीछे हट गया
आग को जला के ये ठण्ड तमाम कर लेना
कर न सको ऐसा तो कोयलों को ला लेना
किसी- किसी तरह से गर्म शाम कर लेना
सडकों के रहने वालों और कुछ मिलेगा नहीं
धरा पे लेट ओढ़ आसमां आराम कर लेना
गर बच जाओ मौत से तो ये सब आजमा लेना
मैंने जो कहा है कोइ एक काम कर लेना
मैं तो सियासत हूँ महलों में सदा गर्म हूँ
तुम मेरे मोहरों से साम- दाम कर लेना
Sunday, January 2, 2011
नव वर्ष
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
शांति के तू दीप जला
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
पर्व यह उल्लास का
इक वर्ष उम्र का और बीत गया
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
पुष्पों से सौरभ स्मित ले
ले पवन से शीतलता
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
गगन सा हो विशाल मन
सागर का मोती बन जा
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
धरती से ले खुशहाली
बसंत से ले मधुमयता
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
जल से लेकर सादापन
उज्जवल निर्मल गीत गा
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
सर्व धर्म समभाव की
चलती रहे प्रतिवर्ष प्रथा
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं
शांति के तू दीप जला
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
पर्व यह उल्लास का
इक वर्ष उम्र का और बीत गया
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
पुष्पों से सौरभ स्मित ले
ले पवन से शीतलता
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
गगन सा हो विशाल मन
सागर का मोती बन जा
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
धरती से ले खुशहाली
बसंत से ले मधुमयता
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
जल से लेकर सादापन
उज्जवल निर्मल गीत गा
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
सर्व धर्म समभाव की
चलती रहे प्रतिवर्ष प्रथा
नव अभिनन्दन नव वर्ष का
आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं
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