दीवानगी है इतनी कैसे दिखाएँ तुमको
ख़ुशी से दूर हुए हैं क्या बताएं तुमको
तड़प है आँख में जो हर कहीं सताती है
ये नींद कैसी है जो रात भर जगाती है
मगर खलिश ये है कि कैसे जगाएं तुमको
दीवानगी है इतनी कैसे दिखाएँ तुमको
उदास रात में जो राह से गुजरते हैं
दिखे थे तुम जहाँ उस जगह पे ठहरते हैं
कहाँ से देके सदा कैसे बुलाएं तुमको
दीवानगी है इतनी कैसे दिखाएँ तुमको
दीवानगी है इतनी कैसे दिखाएँ तुमको
ख़ुशी से दूर हुए हैं क्या बताएं तुमको
Thursday, December 30, 2010
Monday, December 20, 2010
दिल में घर
आँखों से उतर के दिल में मेरे घर बना लिया
इतना तो आसां न था मेरे दिल का रास्ता
रहने लगे हक-ब-हक खबर भी नहीं दी
इसी कोने में रहता था मैं फिकर भी नहीं की
अब तो जो हो रहा है वो नया सा है जज्बा
इतना तो आसां न था मेरे दिल का रास्ता
पहचान पूछता रहा अनजान जान बन गए
कर लिया कब्ज़ा खुदगर्ज बेईमान बन गए
दिल लेके हमें प्यार का सपना दिखा दिया
इतना तो आसां न था मेरे दिल का रास्ता
आँखों से उतर के दिल में मेरे घर बना लिया
इतना तो आसां न था मेरे दिल का रास्ता
इतना तो आसां न था मेरे दिल का रास्ता
रहने लगे हक-ब-हक खबर भी नहीं दी
इसी कोने में रहता था मैं फिकर भी नहीं की
अब तो जो हो रहा है वो नया सा है जज्बा
इतना तो आसां न था मेरे दिल का रास्ता
पहचान पूछता रहा अनजान जान बन गए
कर लिया कब्ज़ा खुदगर्ज बेईमान बन गए
दिल लेके हमें प्यार का सपना दिखा दिया
इतना तो आसां न था मेरे दिल का रास्ता
आँखों से उतर के दिल में मेरे घर बना लिया
इतना तो आसां न था मेरे दिल का रास्ता
Friday, December 3, 2010
नाता
जो तुमसे अजब सा नाता है
सबसे ये कहाँ निभ पाता है
जो तुमसे अजब सा नाता है
हम जलते- जलते रहते हैं
जब भी इसमें कोइ आता है
जो तुमसे अजब सा नाता है
तुम जान भले लो जुदा मत होना
हर दर्द सहा नहीं जाता है
जो तुमसे अजब सा नाता है
सबसे ये कहाँ निभ पाता है
जो तुमसे अजब सा नाता है
हम जलते- जलते रहते हैं
जब भी इसमें कोइ आता है
जो तुमसे अजब सा नाता है
तुम जान भले लो जुदा मत होना
हर दर्द सहा नहीं जाता है
जो तुमसे अजब सा नाता है
किसी रोज़ हम मिलें
रब हो तो दुआ कर कि किसी रोज़ हम मिलें
ऐ मेरे खुदा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
रब हो तो दुआ कर कि किसी रोज़ हम मिलें
जो दिल के ज़ख्म हैं सभी तुमसे ही कहने हैं
आँखों से कहा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
ऐ मेरे खुदा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
चाहो जो मुझे मिलना उम्मीद में इसी
चाहत से वफ़ा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
ऐ मेरे खुदा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
अरदास में रब की जाकर के यही माँगा
मौक़ा तो अता कर कि किसी रोज़ हम मिलें
ऐ मेरे खुदा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
ऐ मेरे खुदा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
रब हो तो दुआ कर कि किसी रोज़ हम मिलें
जो दिल के ज़ख्म हैं सभी तुमसे ही कहने हैं
आँखों से कहा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
ऐ मेरे खुदा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
चाहो जो मुझे मिलना उम्मीद में इसी
चाहत से वफ़ा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
ऐ मेरे खुदा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
अरदास में रब की जाकर के यही माँगा
मौक़ा तो अता कर कि किसी रोज़ हम मिलें
ऐ मेरे खुदा कर कि किसी रोज़ हम मिलें
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